तेरे ग़म ने ही संभाला है दिल को नफ़रत शायरी, गिला शिकवा << जाँ-ब-लब ठहरी अब तो प्यार... क्यों चाँदनी रातों में दर... >> तेरे ग़म ने ही संभाला है दिल कोवरना निकल गई हर हसरत होतीमेरे दिल में अगर तेरी चाहत ना होतीहर शख्स से मुझे फिर नफ़रत होती! Share on: